*ओ! बुंदेला भूमि जननी रख ले प्रदेश का पानी ,एक बार फिर से दे दे लक्ष्मीबाई सी रानी*
आज १८ जून को झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई की पुण्य तिथि है ,उनकी स्मृति में सारे भारतवर्ष की न सिर्फ महिला-शक्ति बल्कि हर भारतीय का मस्तक गर्व से ऊँचा होता है. हर नारी को झाँसी की रानी से प्रेरणा लेकर साहसी बनना है व आवश्यकता पड़ने पर विवेकपूर्ण निर्णय लेकर अपने कदम बिना किसी से डरे आगे बढ़ाना होगा. ज्ञातव्य है सदियों से ही हमारे देश की नारी ने बड़े से बड़े कार्य किये हैं ,वर्तमान में भी नारियों ने वैसे भी हर क्षेत्र में अपने परचम लहराने प्रारंभ कर दिए हैं लगभग हर जगह आगे आकर अपना लोहा मनवा रही हैं ,तो फिर किसी भी बात(समस्या) से न घबराकर अपनी गरिमा बनाये रखकर आगे बढते रहना है.
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई- नारी शक्ति के साहस व शौर्य का गुण-गान आज भी समस्त बुंदेलखंड के कण-कण में ही नहीं संपूर्ण भारतवर्ष के जन-मानस के रग-रग में व्याप्त है.जहाँ जाकर उनके बारे में जानकर हमारे मन में भी वैसा ही स्वाभिमान व एक अपूर्व शक्ति जाग्रत हो जाती है . हमें हमारी मानसिक व शारीरिक शक्ति चैतन्य करनी ही होगी.
*झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता प्रशस्ति विभिन्न स्वरूपों में*
प्रख्यात कवियों+साहित्यकारों ने उनको अपनी भावनात्मक श्रद्धांजलि अपने अलग-अलग रूप में प्रगट की है.
• श्रीयुत बाई लक्ष्मी शोभित त्रिविध स्वरुप ,सभा सरस्वती ,गृह रमा, युद्ध कालिका रूप.
तज कमलासन ,कर कमलासन,गहि रंग तलवार,कुल कमला काली गयी,झाँसी दुर्ग द्वार.
.--वियोगी हरि
• देश की गुलामी और नमक -हरामी इन दोनों से ही लक्ष्मी देश लक्ष्मी सी छली गई ,
आखिरी प्रणाम कर झाँसी को उसांसी भर, साथ कर सुरमों के एक थी अली गई,
विप्रधन श्याम हांकते ही रहे बांटें अरि , तकते ही रहे जन कौन सी गली गई,
बैरियों की भीर थी , हाथ शमसीर थी ,यों चीरती फिरंगियों को तीर सी छली गई.
घनश्यामदास पाण्डेय
• गर्दन पर गिर पड़ने वाली ,काँटों से कढ़ जानेवाली ,अरि की बोटी से चटख-चटख ,छोटी तक चढ़ जानेवाली '
छू गई कहीं पर किंचित भी,जिसको इनकी विष बुझी धार,विष चढ़ते ही गिर पढ़ते थे अरि एक-एक पर चार.
• प्रतिपल शोणित की प्यास थी,पर पानीदार कहती थी ,जिसके पानी से पानी में बेलाग आग लग जाती थी.
*लक्ष्मीबाई की सु स्मृति का गति हूँ अनुपम आव्हान ,खोजा करती हूँ दुर्गा की पदरज पावन पुण्य महान.*
*हम सभी महिला शक्ति की ओर से हमारी प्रेरणा झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को हम सबकी ओर से श्रद्धा-सुमन अर्पित हैं .*
“उनकी शक्ति से अभिमंत्रित व विजित ” ,
कोमल है कमजोर नहीं ,शक्ति का नाम नारी है ,सबको जीवन देनेवाली मौत भी उससे हारी है.
इल्म ,हुनर, औ दिलोदिमाग में कहीं किसी से कम नहीं,वह तो अपने सारे अधिकारों की पूरी अधिकारी है.
बहुत हो चुका ये दुःख सहना अब इतिहास बदलना है ,नारी को अब कोई कह न पाए ये अबला बेचारी है.
*जय हो रानी लक्ष्मीबाई की , जय हो भारतीय नारी शक्ति की एकता की ,जयहिन्द*
*अलका मधुसूदन पटेल ,लेखिका -साहित्यकार*
Friday, June 18, 2010
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