Sunday, March 22, 2009

*तुम बोलोगी ,मुख खोलोगी ,तभी तो जमाना बदलेगा *
नव जागरण की अपार संभावनाएं हैं.
हजारों साल के शोषण के बाद भारतीय महिला में एक नयी जाग्रति की लहर आई है. वो अपने अस्तित्व, अधिकार, सहभागिता के लिए निरंतर चैतन्य हो रही है जो उसके सोच-विचार में एक अभूतपूर्व परिवर्तन लाने के साथ एक नया द्रष्टिकोण लेकर आई है, वह स्वर मुखर करने का साहस जुटा रही है. आत्म-विश्वास, अपनी शक्ति पहचानने की जरूरत है , निःसंकोच अपनी आवाज बुलंद करे जाग्रत हों. अभी तक भारतीय महिलाओं को निरक्षरता-अंधविश्वास-दीनता की चाहरदीवारी में रखा गया जिसके कारण वे अपना आत्म-विश्वास, अपनी शक्ति को भूल चुकी हैं. भारत के मजबूत भविष्य के लिए महिलाओं को मजबूत करना होगा. भारत के नए भविष्य की मुख्य धूरी हैं. उन तक सही रचनात्मक संसाधनों, उनके उपयोगी अधिकार ,पर्याप्त जानकारी पहुँचाना व उनकी समस्याओं को दूर करके, उनके विचारों-निर्णयों को मान्यता देना होगा. सामाजिक स्तर में क्रांतिकारी बदलाव के साथ जनसँख्या नियंत्रण,सही पोषण,सही शिक्षा व स्वास्थ्य की चुनौतियाँ का सफलतापूर्वक सामना करने की आवश्यकता है. महिलाऐं अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह समझती हैं समर्पित भाव से कार्य करती हैं .उनका संघर्ष शुरू हुआ है, अनेक स्वार्थी लोग अभी भी उनके अधिकारों-विचारों का विरोध कर रहे है. कुछ कटिबद्ध लोग व संगठन सभी स्तर पर उनके साथ उठ खड़े हुए हैं व उनको पर्याप्त जानकारी+ अधिकारों से जाग्रत कर रहे हैं.
*नेहरूजी का कथन है अगर आप किसी राष्ट्र के बारे में मेरी राय जानना चाहते हैं तो मुझे उस देश में महिलाओं की स्थिति के बारे में बताएं.*
अलका मधुसूदन पटेल -

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